राम से सीखिए - Ram se sikhiye
हमे मानवता की सिख सीखने वाले प्रभु श्री राम को उसी धरातल पे देखना चाहिजे जिनका एकमात्र लक्ष्य था मानव कल्याण। अपनी एक ही बान से वह रावण वध कर सकते थे किंतु उन्होंने अपराध करने वाले को भी एक अवसर देकर अपनी अपराध का प्रायश्चित करने का मौका दिया तथा जब रावण युद्धभूमि पर धाराशाही हुवा तो लक्ष्मण को उनसे कुछ ज्ञान की बाते जानने को कहा और बताया की रावण कितनी सारी विद्याओ का धनी, बुद्धिमान है जिससे तुम्हे सिख मिलेगी । हमे इससे ये बात भी सीखनी चाहिए की हमारी सोच बड़ी होनी चाहिए और विरोधियों को भी क्षमा करना चाहिए। केवल श्री राम हिंदू धर्म के लोगो के उपासक ना हो के कई धर्म के लोग उन्हे अलग अलग मान्यताओ से मानते तथा पूजते है क्यू की उन्होंने मानव धर्म सिखाया है जो जग कल्याणकारी है। तभी संत कबीर कहते है
राम नाम जाना नहीं, लागी मोटी खोरि।
काया हांडी काठ की, ना ऊँ चढ़ै बहोरि।।
याने अपना शरीर काठ की हांडी है जो एक ही बार आग पर चढ़ सकती है । हमे राम नाम का ध्यान लगाकर हमारे मानवरूपी शरीर की नवका भवसागर को पार लगानी है।
मानवता का परम प्रतापी
एक वचण का है ज्यो न्यास
जिवण के हर विपदा से
उभरकर आना उनका प्रयास
सत्य की है असत्य पर विजय
बुराई पे है अच्छाई कि जय
मानवता के धर्म का नाम
महाप्रतापी मेरे प्रभु श्रीराम
✍️मनोज इंगळे
maanavata ka param prataapee
ek vachan ka hai jyo nyaas
jivan ke har vipada se
ubharakar aana unaka prayaas
saty kee hai asaty par vijay
buraee pe hai achchhaee ki jay
maanavata ke dharm ka naam
mahaaprataapee mere prabhu shreeraam
✍manoj ingle
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